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पतझड़ के बाद(भाग 2)

         (अंतिम भाग)

पिछले अंक से आगे.....

मोना राहुल की बातें चुपचाप सुनती रही। राहुल ने कहा कि वो शाम को हॉस्पिटल जायेगा तो मोना ने भी साथ जाने की इच्छा जताई।
वही शोभा जी जब हॉस्पिटल पहुँची तो आनंद जी सो रहे थे ,उनको कांच के  दरवाजे से गम्भीर अवस्था में देखकर उनकी आँखें भीग गई। राखी जी ने पीछे से उनके कंधे पर हाथ रखा तो उन्होंने खुद को संयत किया और बिना कुछ कहे पास की कुर्सी पर बैठ गई । उन्होंने परवेज़ भाई से कहा कि अचानक क्या हुआ जो आई सी यू में एडमिट किया।तो पता चला वायरल फीवर के कारण बीपी बहुत ज्यादा बढ़ गया था।थोड़ी देर बाद रमेश जी ने आकर बताया कि आनंद जी जाग गये है।
राखी जी ने कहा शोभा बहन पहले आप हालचाल ले लो,हम लोग तो मिल चुके है। वो अंदर गई ,उन्हें देख आनंद जी मुस्कुरा दिए। कभी तो सीरियस हो जाया करिये आनंद जी –शोभा जी ने फ़ीकी मुस्कान लिए कहा।
हो तो गया हूं सीरियस,तभी तो आई सी यू में हूँ –आंनद जी ने मुस्कुराते हुए  कहा। शोभा जी की आँखे फिर नम हो गई। उनने हालचाल लिए, ज्यादा देर रुकने की इजाजत नही थी ,उन्हें आराम करने का बोल जल्दी बाहर आ गई।
राहुल और मोना आ चुके थे। दोनों आनंद जी से मिले और डॉक्टर से पूरी इलाज को समझा।
पुरे दिन से सभी हॉस्पिटल में ही थे तो राहुल ने उन्हें कहा अंकल,7 बज रहे हैं, रात के लिए मै रुका हूँ।आप सब घर जाकर आराम करिये।पापा का बीपी भी अब धीरे धीरे सामान्य  हो रहा है।
तभी उसकी नजर शोभा जी पर पड़ी।उसने कहा आंटी मैंने आपको पहचाना नही, तो आएशा जी ने बताया कि ये ही शोभा जी हैं। यह जानकर राहुल के चेहरे के भाव बदल गये।
सब अपने अपने घर लौट गए।रमेश जी ने अपनी कार से शोभा जी को रास्ते में घर छोड़ दिया।
सबके जाने के बाद राहुल ने मोना से कहा कि  ये वही शोभा थी जिन्हें  पापा याद कर रहे थे।देखने में तो कितनी सिंपल और सीधी लग रही थी,लेकिन काम देखो,इस उमर में भी....
स्टॉप इट राहुल, शर्म नही आती तुम्हे,एजुकेट हो फिर भी इतनी छोटी बात कर रहे –मोना ने राहुल की बात काटते हुए कहा कि क्या हम अपने दोस्तों से प्यार नही करते,क्या हमारे दोस्त हमारे दिल के करीब नही होते ,क्या हम अपने दोस्तों से मन की बात शेयर नही करते?और मान लो अगर पापा और शोभा आंटी के बीच कुछ और फीलिंग है तो गलत क्या है ? आएशा आंटी ने बता रही थी कि शोभा आंटी विडो है,पापा भी मॉम के जाने के बाद से अकेले हो गए हैं।ऐसे में किसी से अपने मन की बात....
शट अप यार....क्या कहना चाहती हो कि उनका आपस में लगाव सही है?राहुल ने चिढ़कर कहा ।
बात सही या गलत की नही है।आई वांट टू से दैट इट्स नेचुरल। एक साथी की जरूरत सभी को होती है –मोना ने समझाते हुए कहा।
कुछ देर दोनों के बीच चुप्पी छाई रही।
फिर मोना ने उसे कहा कि परेशान मत हो। हम पापा की तबियत ठीक होने पर उन्ही से बात करेंगे।
थोड़ी देर बाद मोना घर लौट गई।
शोभा जी जब घर पहुंची तो बेटो को आनंद जी तबियत के बारे में बताया , तो बेटो का लहजा कुछ नरम हुआ।फिर बड़े बेटे विनय ने कहा कि कल आपके साथ मैं भी उन्हें देखने हॉस्पिटल चलूंगा।
अगले दिन वे दोनों हॉस्पिटल गये ,विनय ने अच्छे से आनंद जी के हालचाल लिए और जब तक वो एडमिट रहे  वो अपनी माँ के साथ मिलने आता रहा।
वही राहुल भी अब शोभा जी के प्रति सामान्य हो गया था। शायद सबने उन दोनों के लगाव को स्वीकार कर लिया था। पांच दिन बाद आनंद जी डिस्चार्ज कराके घर आ गए।कुछ दिन राहुल ने पास रहकर उनकी देखभाल कर रहा था ।
एक दिन जब वो दोनों गार्डन में बैठे थे,उसने शोभा जी के लिये उनके मन की फीलिंग जानना चाहा,तो आनंद जी मुस्कुरा दिए।बोले – शोभा जी का स्वभाव मुझे अच्छा लगता है।वो बहुत समझदार हैं, उनके साथ बात करते वक्त कब बीत जाता है , पता नही चलता।पर तुम ये सब क्यों पुछ रहे हो?
आप जब बीमार थे तब नींद में उनका नाम ले रहे थे।राहुल ने जवाब दिया।बोला– आपके मन में उनके लिये कोई.......अरे..आप?
बात करते हुए जैसे ही वह पीछे मुड़ा,सामने शोभा जी खड़ी थी।और उनके चेहरे के भाव बता रहे थे कि उन्होंने सब सुन लिया है ।
आनंद जी ने परिस्थिति सम्हालते हुए कहा–अरे शोभा जी बड़े सही समय आई । अब हम लोग साथ में चाय पिएंगे।
उन्होंने कुछ नही कहा।
तब आनंद जी ने कहा कि शोभाजी मुझे यह स्वीकार करने में कोई संकोच नही कि आप का साथ बहुत अच्छा लगता है। आप मेरे बारे में क्या सोचती हैं ,यह आपका निर्णय है।पर साथ ही मैं यह भी मानता हूँ कि हर रिश्ते का कोई नाम हो यह जरूरी नही ।
तब शोभा जी ने कहा–आप सही कह रहे , कभी कभी किसी से बहुत लगाव हो जाता है ,जैसे दिल की गहराइयों से कोई रिश्ता हो,पर उस रिश्ते का कोई नाम नही होता। कुछ रिश्ते  बिना नाम के भी अपने से होते हैं। जैसे पतझड़ का बसन्त से आपस में कोई रिश्ता नही पर जब बसन्त आता है तो सूखे और पर्णविहिन पेड़ो पर हरियाली छा जाती है ।बहार आती है और मुरझाई धरती पर मुस्कान और खुशियों की चादर से ढक देती है।
   आनंद जी और शोभाजी की बातें सुन राहुल के मन का हर संशय खत्म हो चुका था।
                               
      
                               समाप्त


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6 Comments

Fauzi kashaf

02-Dec-2021 11:15 AM

Good

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Zaifi khan

01-Dec-2021 09:27 AM

Nice

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Hayati ansari

29-Nov-2021 09:54 AM

Good

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